उत्तर प्रदेश मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना
भारत जैसे विकासशील देश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, पोषण और स्वास्थ्य को लेकर कई योजनाएं चलाई जाती रही हैं, लेकिन निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों की ज़िंदगी अक्सर सरकारी योजनाओं से दूर रह जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वर्ग के लिए एक अत्यंत संवेदनशील और सराहनीय योजना शुरू की है—“मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना”।
इस योजना का मूल उद्देश्य है—गर्भवती महिला श्रमिकों, नवजात बच्चों और विशेष रूप से बालिकाओं के लिए आर्थिक सहायता सुनिश्चित करना, ताकि वे सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्यगत रूप से सुरक्षित रह सकें।
योजना का उद्देश्य
इस योजना की बुनियाद एक सरल लेकिन महत्वपूर्ण सोच पर रखी गई है—"हर श्रमिक माँ और उसके बच्चे को गरिमा से जीने का हक़ मिले।" योजना का मुख्य उद्देश्य है:
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निर्माण श्रमिकों की गर्भवती पत्नियों को वित्तीय सहारा देना,
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नवजात शिशुओं के पहले कदम को सुरक्षित करना,
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और बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित कर सामाजिक सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना।
योजना के प्रमुख लाभ
1. मातृत्व लाभ
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जो पुरुष श्रमिक पंजीकृत हैं, उनकी पत्नी को प्रसव के समय ₹6,000 की एकमुश्त राशि दी जाती है।
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यदि महिला स्वयं श्रमिक के रूप में पंजीकृत है, तो उसे तीन महीने का न्यूनतम वेतन + ₹1,000 का चिकित्सा बोनस प्राप्त होता है।
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गर्भपात की स्थिति में 6 सप्ताह का वेतन भी दिया जाता है।
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नसबंदी कराने पर 2 सप्ताह का न्यूनतम वेतन।
2. शिशु लाभ
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पुत्र के जन्म पर ₹20,000 और पुत्री के जन्म पर ₹25,000 की सहायता दी जाती है।
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पहली या दूसरी बालिका के लिए ₹25,000 की सावधि जमा जो बालिका के 18 वर्ष की उम्र में परिपक्व होगी।
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अगर बालिका दिव्यांग है, तो सहायता राशि बढ़ाकर ₹50,000 कर दी जाती है।
योजना की पात्रता
योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ पात्रता शर्तें निर्धारित की गई हैं:
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लाभार्थी श्रमिक को उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत होना अनिवार्य है।
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महिला की उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
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मातृत्व लाभ केवल पहले दो प्रसवों के लिए ही मान्य है।
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शिशु लाभ केवल पहले या दूसरे संतान के रूप में बालिका पर लागू होता है।
आवेदन प्रक्रिया
योजना के लिए आवेदन ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है:
ऑनलाइन प्रक्रिया:
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बोर्ड की वेबसाइट https://upbocw.in पर जाएं।
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“योजनाएं” अनुभाग से “मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना” चुनें।
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ऑनलाइन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
ऑफलाइन प्रक्रिया:
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नजदीकी श्रम कार्यालय, विकास खंड या तहसील कार्यालय से फॉर्म प्राप्त करें।
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फॉर्म भरकर सभी दस्तावेजों के साथ संबंधित कार्यालय में जमा करें।
जरूरी दस्तावेज़
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श्रमिक पंजीकरण प्रमाण पत्र
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महिला/पति का आधार कार्ड
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प्रसव प्रमाण पत्र या अस्पताल का दस्तावेज
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शिशु का जन्म प्रमाण पत्र
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बैंक पासबुक की प्रति
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पासपोर्ट साइज फोटो
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मोबाइल नंबर
योजना का प्रभाव
इस योजना के आने के बाद लाखों निर्माण श्रमिक परिवारों को राहत मिली है। केवल 2018 से 2021 तक, 90,000 से अधिक महिलाओं को लाभ दिया गया और 150 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की गई। यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति का हिस्सा है, जो बेटियों के जन्म को उत्सव बनाने की दिशा में काम कर रही है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश की मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना एक दूरदर्शी और संवेदनशील पहल है, जो महिला सशक्तिकरण, बालिका सुरक्षा और सामाजिक न्याय को धरातल पर उतारने का काम कर रही है। यह योजना निर्माण क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के जीवन को बदलने वाली है। अगर आप या आपके आस-पास कोई पात्र व्यक्ति है, तो उसे इस योजना की जानकारी दें और उसका लाभ दिलाएं।
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