प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
पारंपरिक कारीगरों के लिए एक नया सवेरा
भारत सरकार द्वारा पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए शुरू की गई “प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना” एक ऐतिहासिक कदम है। इस योजना का उद्देश्य उन मेहनतकश लोगों को आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक सहायता प्रदान करना है जो पीढ़ियों से अपने हाथों से काम करके अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। यह योजना विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाई गई है जो छोटे स्तर पर पारंपरिक पेशों से जुड़े हुए हैं लेकिन अब तक किसी भी योजना का सीधा लाभ नहीं ले पाए हैं।
योजना का शुभारंभ
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह योजना 17 सितंबर 2023 को विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर शुरू की गई थी। इसका क्रियान्वयन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) द्वारा किया जा रहा है। यह योजना 2023 से लेकर 2028 तक पांच वर्षों के लिए लागू की गई है।
उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को तकनीकी प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता, पहचान, और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जोड़कर उनके व्यवसाय को मजबूत करना है। सरकार चाहती है कि ये कारीगर आत्मनिर्भर बनें और आधुनिक बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
प्रदान की जाने वाली प्रमुख सुविधाएं
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत लाभार्थियों को निम्नलिखित सुविधाएं दी जाती हैं:
-
40 घंटे का बेसिक स्किल ट्रेनिंग और 120 घंटे का एडवांस ट्रेनिंग।
-
प्रशिक्षण अवधि के दौरान ₹500 प्रतिदिन का वजीफा।
-
₹15,000 की टूलकिट सहायता राशि।
-
₹3 लाख तक का बिना गारंटी का लोन (दो चरणों में)।
-
पहले चरण में ₹1 लाख का लोन 5% ब्याज दर पर, 18 महीने में चुकता करना होगा।
-
दूसरे चरण में ₹2 लाख का लोन 5% ब्याज दर पर, 30 महीने की अवधि के लिए।
-
8% तक की ब्याज सब्सिडी सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
-
डिजिटल भुगतान पर ₹1 प्रति लेन-देन प्रोत्साहन (100 ट्रांजेक्शन तक प्रतिमाह)।
-
सरकारी योजनाओं जैसे सुरक्षा बीमा, जीवन बीमा, पेंशन योजना से जोड़ने की सुविधा।
-
मार्केटिंग और ब्रांडिंग में सहायता।
कौन ले सकता है योजना का लाभ?
इस योजना के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं:
-
आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
-
न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
-
आवेदक पारंपरिक पेशे से जुड़ा होना चाहिए और हाथों से काम करता हो।
-
आवेदक का नाम परिवार-आधारित पारंपरिक व्यवसाय में दर्ज होना चाहिए।
-
पिछले 5 वर्षों में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, पीएम ईजीपीपी या पीएम स्वनिधि योजना का लाभ न लिया हो।
-
एक परिवार से केवल एक सदस्य को लाभ मिलेगा।
-
यदि कोई व्यक्ति सरकारी सेवा में है, तो वह पात्र नहीं होगा।
पात्र पारंपरिक व्यवसाय
सरकार ने 18 पारंपरिक व्यवसायों को इस योजना के तहत कवर किया है:
-
बढ़ई (सुथार)
-
नाव निर्माता
-
शस्त्र निर्माता
-
लोहार
-
हथौड़ा एवं टूल किट निर्माता
-
ताला बनाने वाले
-
मूर्तिकार एवं पत्थर तराशने वाले
-
पत्थर तोड़ने वाले
-
सुनार
-
कुम्हार
-
मोची/जूता बनाने वाले
-
राज मिस्त्री
-
झाड़ू, चटाई और टोकरी बनाने वाले
-
नारियल रस्सी बनाने वाले
-
पारंपरिक खिलौना निर्माता
-
नाई
-
फूल माला बनाने वाले
-
धोबी
-
दर्जी
-
मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले
आवश्यक दस्तावेज़
योजना में आवेदन करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ आवश्यक हैं:
-
आधार कार्ड
-
मोबाइल नंबर
-
बैंक खाता संख्या और IFSC कोड
-
व्यवसाय प्रमाण (कारीगर/शिल्पकार से संबंधित)
-
जाति प्रमाण पत्र (यदि आरक्षित वर्ग से हैं)
-
परिवार का विवरण
-
राशन कार्ड नंबर (यदि उपलब्ध हो)
-
UPI ID (डिजिटल प्रोत्साहन के लिए)
आवेदन प्रक्रिया
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में आवेदन केवल कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से किया जा सकता है। आवेदक को अपने नजदीकी CSC केंद्र पर जाकर आवेदन कराना होगा। आवेदन की प्रक्रिया इस प्रकार है:
-
सभी आवश्यक दस्तावेज़ लेकर CSC जाएं।
-
CSC ऑपरेटर आपकी जानकारी पोर्टल पर भरेगा।
-
आधार नंबर से OTP सत्यापन किया जाएगा।
-
इसके बाद व्यक्तिगत जानकारी, पारिवारिक जानकारी, पेशा, बैंक विवरण, आदि दर्ज किए जाएंगे।
-
आवेदन फॉर्म सबमिट करने से पहले जांच लें।
-
आवेदन ID जनरेट होगी और फॉर्म ग्राम पंचायत या नगर निकाय द्वारा सत्यापित किया जाएगा।
-
जिला समिति द्वारा फॉर्म की जांच के बाद स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा अंतिम स्वीकृति दी जाएगी।
-
स्वीकृत लाभार्थी को मोबाइल SMS के जरिए सूचना प्राप्त होगी।
लाभार्थियों की संख्या
अब तक करोड़ों लोगों ने इस योजना में आवेदन किया है, और लाखों लाभार्थियों को सफलतापूर्वक योजना के तहत रजिस्टर किया जा चुका है। हर महीने नए लाभार्थियों को जोड़ा जा रहा है।
योजना की विशेषताएं
-
पारंपरिक पेशों को सम्मान देना
-
आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देना
-
ग्रामीण और शहरी कारीगरों को समान अवसर
-
स्वरोजगार को बढ़ावा
-
आधुनिक तकनीक से जोड़ना
-
आर्थिक रूप से मजबूत बनाना
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना उन अनदेखे और अनसुने कारीगरों की आवाज़ है जो वर्षों से भारत की सांस्कृतिक विरासत को संभाले हुए हैं। यह योजना केवल आर्थिक सहायता नहीं बल्कि सम्मान, पहचान और आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि आप या आपके परिवार में कोई पारंपरिक कारीगर है, तो इस योजना का लाभ जरूर उठाएं और अपने हुनर को एक नई पहचान दें।
Comments
Post a Comment