उत्तराखंड मुख्यमंत्री बाल पोषण योजना

 उत्तराखंड सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री बाल पोषण योजना (Mukhyamantri Bal Poshan Yojana) राज्य के बच्चों के लिए एक दूरदर्शी और संवेदनशील प्रयास है। यह योजना 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आवश्यक पोषण उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से शुरू की गई है ताकि बाल्यावस्था में ही उनके अच्छे स्वास्थ्य की बुनियाद रखी जा सके।

बाल पोषण का महत्व केवल शारीरिक विकास तक सीमित नहीं है, यह मानसिक स्वास्थ्य, सीखने की क्षमता और सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित करता है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इस योजना को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से जमीनी स्तर पर लागू किया है।

योजना की विशेषताएँ

  • लक्ष्य समूह: 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे

  • कार्यान्वयन एजेंसी: महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग, उत्तराखंड

  • वितरण माध्यम: राज्यभर के आंगनबाड़ी केंद्र

बच्चों को सप्ताह में दो दिन विशेष पोषण आहार प्रदान किया जाता है। जो बच्चे अंडा नहीं खाते, उन्हें विकल्प के रूप में केला चिप्स या समतुल्य ऊर्जा-संपन्न भोजन दिया जाता है।

इस योजना के लाभ

  1. कुपोषण में कमी: उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में, जहां कई क्षेत्रों में भोजन की विविधता सीमित है, यह योजना पोषण की कमी को पूरा करती है।

  2. शारीरिक और मानसिक विकास: संतुलित आहार बच्चों के दिमागी विकास में सहायक होता है।

  3. विद्यालयी शिक्षा में वृद्धि: अच्छे स्वास्थ्य से बच्चों की स्कूल उपस्थिति और सीखने की क्षमता बेहतर होती है।

  4. समाज में जागरूकता: माताओं और अभिभावकों में पोषण को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।

पात्रता मापदंड

  • बच्चा 3 से 6 वर्ष आयु का हो।

  • वह उत्तराखंड राज्य का स्थायी निवासी हो।

  • बच्चा आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत हो।

आवश्यक दस्तावेज़

  • बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र

  • आधार कार्ड (बच्चे व अभिभावक दोनों का)

  • राशन कार्ड या निवास प्रमाण पत्र

  • पासपोर्ट साइज फोटो

आवेदन की प्रक्रिया

  1. अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र जाएं।

  2. वहां बच्चे का पंजीकरण करवाएं।

  3. मांगे गए दस्तावेज़ जमा करें।

  4. एक बार पंजीकरण हो जाने के बाद, योजना का लाभ स्वतः मिलना आरंभ हो जाएगा।

योजना की पारदर्शिता

राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि वितरण प्रक्रिया पारदर्शी हो और किसी भी प्रकार की अनियमितता पर त्वरित कार्रवाई हो। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नियमित प्रशिक्षण भी दिया जाता है जिससे वितरण प्रणाली प्रभावी बनी रहे।

योजना से जुड़ी कुछ विशेष बातें

  • जिन बच्चों को अंडा नहीं दिया जा सकता, उनके लिए स्थानीय स्तर पर विकल्प ढूंढे जाते हैं ताकि सभी को बराबर पोषण मिल सके।

  • योजना का ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां सामान्यतः पोषण सुविधाएं सीमित होती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्र. क्या यह योजना केवल सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए है?
उत्तर: नहीं, यह योजना उन सभी बच्चों के लिए है जो आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत हैं, चाहे वे स्कूल में हों या नहीं।

प्र. यदि बच्चा पहले से स्कूल में मिड-डे मील ले रहा है, तो क्या उसे यह लाभ भी मिलेगा?
उत्तर: हाँ, योजना स्कूल और मिड-डे मील से स्वतंत्र रूप से लागू की जाती है, जब तक बच्चा आंगनबाड़ी में पंजीकृत है।

प्र. योजना की जानकारी किससे लें?
उत्तर: अपने क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से संपर्क करें या महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की वेबसाइट पर जाएं।

प्र. अंडे के विकल्प में और क्या दिया जा सकता है?
उत्तर: स्थानीय स्तर पर केला चिप्स या अन्य पोषणयुक्त विकल्प दिए जाते हैं। विभाग समय-समय पर विकल्पों की सूची अपडेट करता है।

निष्कर्ष

मुख्यमंत्री बाल पोषण योजना न केवल एक सामाजिक कल्याण योजना है, बल्कि यह उत्तराखंड के भविष्य में निवेश है। जब बच्चे स्वस्थ होंगे, तभी राज्य मजबूत बनेगा। यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी बच्चा पोषण के अभाव में पीछे न रह जाए।

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