उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना
मातृ एवं शिशु कल्याण की दिशा में बड़ा कदम
भारत में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य हमेशा से सरकारों की प्राथमिकता में रहा है। हर राज्य अपनी-अपनी योजनाओं के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए प्रयासरत है। इसी कड़ी में उत्तराखण्ड सरकार ने वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना की शुरुआत की। इस योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर माताओं को प्रसव के बाद आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना और नवजात शिशु की देखभाल को सरल बनाना है।
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
उत्तराखण्ड सरकार ने यह योजना 2021 में शुरू की। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों की महिलाओं और नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद बुनियादी सामग्री मिल सके। अक्सर देखा गया है कि कम आय वाले परिवार प्रसव के बाद आवश्यक वस्तुएं खरीदने में सक्षम नहीं होते, जिससे माँ और बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने महालक्ष्मी किट प्रदान करने की पहल की।
महालक्ष्मी किट में क्या मिलता है?
योजना के अंतर्गत माँ और नवजात शिशु दोनों के लिए आवश्यक सामग्री दी जाती है।
माँ के लिए सामग्री – 11 वस्तुएं
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सेनेटरी पैड
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तौलिए
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साबुन
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तेल
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शैम्पू
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कंघी
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टूथपेस्ट और टूथब्रश
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स्लिपर्स
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सूती कपड़े
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फेस मास्क
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अन्य व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं
नवजात शिशु के लिए सामग्री – 11 वस्तुएं
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बेबी सोप
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तेल और लोशन
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पाउडर
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बेबी कपड़े
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डायपर
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बेबी तौलिए
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बूटियाँ और टोपी
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बेबी कंबल
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फीडिंग बोतल
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बेबी स्लिपर्स
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अन्य आवश्यक वस्तुएं
इस प्रकार कुल 22 वस्तुओं वाली यह किट माँ और बच्चे दोनों की आवश्यकताओं को पूरा करती है।
योजना का लाभ किसे मिलेगा?
योजना का लाभ केवल उन्हीं परिवारों को मिलेगा जो इसके लिए पात्र हैं।
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महिला उत्तराखण्ड की स्थायी निवासी होनी चाहिए।
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परिवार की वार्षिक आय ₹60,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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नवजात शिशु 6 माह से कम आयु का होना चाहिए।
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लाभ केवल दो बच्चों तक सीमित रहेगा।
आवेदन की प्रक्रिया
इस योजना के लिए किसी ऑनलाइन आवेदन की आवश्यकता नहीं है। इसका पूरा प्रोसेस आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से होता है।
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लाभार्थी महिला अपने नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र से निःशुल्क आवेदन पत्र प्राप्त कर सकती है।
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आवेदन पत्र में सही जानकारी भरकर आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न करने होंगे।
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आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सत्यापन किया जाएगा।
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दस्तावेज़ और आवेदन आगे महिला एवं बाल विकास विभाग को भेजे जाएंगे।
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सत्यापन पूरा होने के बाद लाभार्थी को किट प्रदान कर दी जाती है।
आवश्यक दस्तावेज़
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निवासी प्रमाण पत्र
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आधार कार्ड
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आय प्रमाण पत्र
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राशन कार्ड (यदि हो)
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अस्पताल डिस्चार्ज प्रमाण पत्र / जन्म प्रमाण पत्र
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पासपोर्ट साइज फोटो
योजना की विशेषताएं
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यह योजना पूरी तरह निःशुल्क है।
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किसी भी प्रकार का आवेदन शुल्क नहीं लिया जाता।
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लाभार्थी को किट सीधे हाथों में दी जाती है।
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ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं को यह सुविधा दी जाती है।
योजना का महत्व
उत्तराखण्ड जैसे पहाड़ी राज्य में गरीब और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले परिवारों के लिए यह योजना बेहद उपयोगी है।
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गरीब परिवारों को प्रसव के बाद जरूरी सामग्री खरीदने का बोझ नहीं उठाना पड़ता।
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नवजात शिशु की देखभाल में आसानी होती है।
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महिलाओं को स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी वस्तुएं मिलती हैं।
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मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलती है।
अन्य संबंधित योजनाएं
यह योजना राज्य और केंद्र सरकार की अन्य मातृ-शिशु योजनाओं के साथ जुड़ी हुई है, जैसे:
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प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – जिसमें गर्भवती महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है।
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मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना – जिसके अंतर्गत पोषण किट उपलब्ध कराई जाती है।
योजना से जुड़ी चुनौतियाँ
हालांकि योजना लाभकारी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं –
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सभी पात्र परिवारों तक योजना की जानकारी न पहुँच पाना।
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दूरस्थ इलाकों में समय पर किट वितरण न होना।
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कुछ मामलों में दस्तावेज़ सत्यापन में देरी।
सरकार लगातार इन चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रयासरत है ताकि हर लाभार्थी तक योजना का लाभ पहुँच सके।
संपर्क विवरण
यदि योजना से संबंधित कोई समस्या या जानकारी चाहिए तो सीधे विभाग से संपर्क किया जा सकता है:
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फोन: 0135-2775814
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ईमेल: dir.icds.ua@gmail.com
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नोडल विभाग: महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तराखण्ड
निष्कर्ष
उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना राज्य की महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इससे न केवल माँ और बच्चे की देखभाल आसान होती है बल्कि गरीब परिवारों को आर्थिक राहत भी मिलती है। यह योजना मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है।
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